लोगो की चालाकी देखकर, हम चालाकी भूल गए... लोगो की चालाकी देखकर, हम चालाकी भूल गए...
सोच लोगों की सोच लोगों की
देखकर बदलती दुनिया... देखकर बदलती दुनिया...
वहाँ लोगो के दिल नहीं मिलते है वहाँ लोगो की जरूरतें जुड़ी होती है वहाँ लोगो के दिल नहीं मिलते है वहाँ लोगो की जरूरतें जुड़ी होती है
उनसे कट अपनी ही दुनियाँ मैं मस्त हो जाती हूँ मैं, सच कहूँ मन करता है। उनसे कट अपनी ही दुनियाँ मैं मस्त हो जाती हूँ मैं, सच कहूँ मन करता है।
अंधेरा था इमारत की उस काई-भीगी दीवार पर, कुछ ठंडक-सी भी और मेरी चाहत की कोशिश से सटकर खड़ी थी वह... अंधेरा था इमारत की उस काई-भीगी दीवार पर, कुछ ठंडक-सी भी और मेरी चाहत की कोशिश...